পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৪১৫

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

O&8 क्षि शांक्षारे मांकन रु५षांइ; शक्त्विांस् उर्शन "া নি। গুলা যায় দানা ৷ি अग्रिां★ सू१ भां६। रु6ांशाः 'शांप्लशब्लांशाउ' कनिष्ठ। एश्लेन षान्त ब्रक्शन रौ१| शि1५ढ़ाक्शरौ१, मी॥ 'क्र्त'ि। मण १yार शैः श्रेष्ठ ५स्तूरुश रौर्भ 'स्ौश्रेस्-छतः ॥१'ांश्ौ'।। ५४ति विज् झख विीन हेिऽ। शिष्*उरङ्ग् ५लि६ौ क्षिनि श्रेष्ठ उशी नांश्-'रां#। रक्ट्सि) ७र्श शिर আমি দেখিড়ে পাঞ্জা যায়। মােট েৈড়ছে 'ঙ' আর 'মিতি'। মুম্বাড়িতে একদিকে যেমন গ্রামের १ि,१ौ सूक्ष), गीक्षितः ३१द् िधानीमानि श्रेष्, षग्न *ि(गशाळ (एझरे श्री ५कौ राक्षां, धर्शाउ श्रेछ। BBDmBBBD Bmm BBSBBSDDDDDS उ१ारु भञ्जििछ वानर्ता ७१मरु क्लर स् ছিল। লোকে এখানে গল্পগুজব কড়ি, নানাগ্রকার গো দা ডি, আজি ৰতি, নৃত্যু গঁড় १ीला षांशैशन रुतािस्,तिि.रि१ गे।एं तिष्ठ । पिहे गए र हेल्न" आशा शां"ा गरे।ोरुि আর্যদের অনেক সন্ম বাড়ি। তখন কিন্তু নাটক ছিল না। নাট্যশাল বা নাটর নামগঞ্জ গাঙা যায় না। নাটকের উৎপত্ত্বিন্ধি কেমন কন্ধি াৈছে ডাংড়ি १||१, न। षांश (शिष्ठ १३ क्ष*रु५मझाल ऐऴि्ानि षांशतः तानां षणश् झंीरौ ।ि ,ि ()ाति ५श ि(औकि शू १ादशै झनास्6 ७३ शै िवद्र् ।ि श्।ि সম্ভু য়িত্ব এৱৈকরুন দেখিতে পাঞ্জা। ঋগ্রোইড়ো আর দি বাগবখনংে १ः। श्रृंक्र ९ ऐनैिरां (*ा y', ?t) रह 8 हेक्ष क्षीणस्शन (१, ६२), ११९ शौ জাপান(১,১)প্রভৃতি উল্লো। পুরাণগুলি গংগা ঝাং লি স্বভূক্তি হয় না। ऐशनिशा8 घानरु रुशंभुंक्शन घाइ। बाँक्न षष्रि न शक्गि९ tरतिकू झूठ, भैष्, भुमि, श्रुगै सिक्क–७शी र দেখিতে পাঞ্জ স্থা। এগুলি ক্ৰমশ: বাই৷ স্বয় इीा लिका। नळिनीतः १िि१७ इहै। १ीतििर १H। भां★ मां-ान श्न षध्निाः सौ ष, एन १ि निरृङ्गीं षणारु नि मि। श्रुीः 'त् िहूं िित। ग्रतः ऎतािनि । शि%स , एस् र रेस् १त। क रुि ।ि म झोल९ ऐ-ि४कृलि रुि ।ि श्ा हि १अल(१av श्ऴ) ११ि७गनां सृतःि नारु षांछन् १eा शाः। श्{ई छूहेरास् िd? श्रु घाँ िििन। पि३ शुरु Jी श्ठ्। ऐाक्षशब्लैष्मिणै *रुद्र उर्षशनैौ (eा (गंग পণিা ও সুরম $। नि-पूहि नःि (शत्।। ५१ीन क्षाल! ५१ किं গং। এ গাং জাঙ্ক য়ে নিদিকে চাইলে স্থা যান। बांशांtा रुइ ४श्न स् िशिव बांtा शं, छाछ १ि क्षणः। क'प्लांकि शt;'4गा ? बौशीन श्tन (क्शन कt;'? १। मान-देव शै हा ब१ि 4गः। *ि! ড়ো আন খাদ্য মাচ। জামাঞ্জেলি নো ইচ্ছা! छण बांशांt* ब्रक क्tiफ़ । अtणन छा हग, १:इ बां३ि ईंहशन सप्तः कालशाहॆ। ं १लः तिरे १ौ झ१ी श्रुतःि। ७। १fi-शितःि (शहैव शैश्यः क्षण ! toर्शितः। हेत (क्शन ! Witढ़ tा५rछ (क्शन? छष, नेि शश्न ब, बांश ऍर १ष्ट्र राण' शैलां साठ प्लांकि शांत्।ि िि शिाः॥ः १ीघ्ौणैिनिकाः षङ्गिनि इङ्गव। বৈদিক সাহিত্য আলোচনা করিলে দেখা যা গ্রয়ে ब्राज़ (सरल एांज्ञा कि (बैंक शि, शं;'); एांग एiन घशरिक्शा कि (बॅंक श। क्लश्यः शूज़र गक गैठ नष्क्ल श्रेण। dरे मशः (नॉरु शंर-छर tार्शरे। शांछि षांतृष्ठ कनि। कांग शंस्कार रिशांगबिश् ¢रुषः घञांग शैग्निष्ठ भािं १ीघ्नरेन। गष्ठरष्ठ एांश श्रेष्रे कश् धश्रुघ्न मि,';ात्रौ ४ सशस्त्र ऋकत रे गए सांव निष् १ीत् । dरेब्रश झशना)ा ऐप्लर श। ¢शश ¢१श बात कांव श्गि क्लिक्ष्क घकरीिक" कप्तिशूज़ की। नईक्-{िः नईन्छगल एांशं? (8ा हरेंtश्। ‘बकिकगोविंRबनष्ठिांश्मनि। ब्रह्मैव र्मिं संनि।। ११७एका।।'