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अप्रैल की निर्वाचित पुस्तक
जो किसी के भी नहीं बाँधे बँधे ।
प्रेमबंधन से गये वे ही कसे॥
तीन लोकों में नही जो बस सके।
प्यारवाली आँख में वे ही बसे ॥
पत्तियों तक को भला कैसे न तब।
कर बहुत ही प्यार चाहत चूमती ॥
साँवली सूरत तुम्हारी साँवले।
जब हमारी आँख में है घूमती॥
...(पूरा पढ़ें)
सप्ताह की पुस्तक
रक्षा बंधन विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' द्वारा रचित कहानी संग्रह है। इसका प्रकाशन आगरा के विनोद पुस्तक मन्दिर द्वारा १९५९ ई. में किया गया था।
"कुछ लोग भक्ति में विभोर होकर कीर्तन करते हैं और कुछ लोगों ने इसे संध्या की बैठकबाजी तथा मनोरंजन का साधन बना रक्खा है। अधिक संख्या ऐसों की ही है। परन्तु यह तो मानना ही पड़ेगा कि, धार्मिक दृष्टि से, यह मनोरंजनों की अपेक्षा उत्कृष्ट है। रायसाहब कन्हैयालाल भी ऐसे लोगों में थे जिन्होंने कीर्तन को अपना मनोरंजन बना रक्खा है। उनके घर में कृष्ण मन्दिर था। कृष्ण-मन्दिर में ही कीर्त्तन होता था। रायसाहब के कुछ परिचित तथा कुछ वेतन-भोगी लोग सन्ध्या को ७ बजे आ जाते थे और नौ बजे तक कीर्तन करते थे। चलते समय उन्हें एक एक दोना प्रसाद मिलता था। कुछ लोक तो केवल प्रसाद के लालच से ही आकर सम्मिलित हो जाते थे। मनोरंजन का मनोरंजन और प्रसाद घाते में। कभी-कभी पास-पड़ौस की कुछ महिलायें भी आ जाती थीं। जिस दिन महिलाओं का सहयोग प्राप्त हो जाता था उस दिन कीर्तन करने वाले अपना पूरा जोर लगा देते थे। कुछ लोगों के लिए महिलाओं की उपस्थिति स्फूर्ति-दायक होती है।..."पूरा पढ़ें)
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पूर्ण पुस्तक
कोड स्वराज, आधुनिक समय के नागरिक प्रतिरोध के अभियान की एक कहानी है, जो महात्मा गाँधी और उनके सत्याग्रह के अभियानों से प्रेरणा लेती है, जिसने सरकारों का अपने नागरिकों के साथ बातचीत करने का तरीका बदल दिया। ज्ञान की सार्वभौमिक पहुंच, सूचना का लोकतांत्रिककरण और स्वतंत्र ज्ञान की खोज में, मालामुद और पित्रोदा गांधीवादी मूल्यों को, आधुनिक समय पर लागू करने का दावा करते हैं और भारत और दुनिया में परिवर्तन लाने के लिए एक एजेंडा पेश करते हैं। ( कोड स्वराज पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- इस माह शोधित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
- Kabir Granthavali.pdf [९२१ पृष्ठ]
- जायसी ग्रंथावली.djvu [४९८ पृष्ठ]
- रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf [४७१ पृष्ठ]
रचनाकार
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल 1865 — 16 मार्च 1947) हिंदी भाषा के कवि, निबंधकार तथा संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- प्रियप्रवास (1914), खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य जो कृष्ण के गोकुल से मथुरा प्रवास की घटना पर आधारित
- चोखे चौपदे (1924), हरिऔध हजारा नाम से भी प्रसिद्ध इस पुस्तक में एक हजार चौपदे हैं
- वेनिस का बाँका (1928), अंग्रेजी नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस का अनुवाद
- रसकलस (1931), मुक्तकों का संग्रह
- रस साहित्य और समीक्षायें (१९५६), आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह
- हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास
आज का पाठ
"भारतवर्ष की अनिवार्य्य आरम्भिक शिक्षा के इतिहास से ब्रिटिश सरकार की विमाता जैसी प्रवृत्तियों का पूर्ण परिचय मिल जाता है। इस सम्बन्ध में पहला बिल स्वर्गीय गोखले ने प्राचीन बड़ी व्यवस्थापिका सभा में १९११ ई॰ में उपस्थित किया था। 'अभी ऐसी कड़ी व्यवस्था का समय नहीं आया।' 'आवश्यक व्यय के लिए धन कहाँ मिलेगा?' 'जनता धार्मिक दृष्टि से अनिवार्य्य पद्धति के विरुद्ध है।' आदि बनावटी बातों के आधार पर सरकार ने इसका विरोध किया था।"..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विधि
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- विविध — ग्रंथावली, संघ लोक सेवा आयोग प्रश्न पत्र, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र
- सभी विषय देखें
आंकड़े
- कुल पुस्तकें = ५२६
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,६३,३०५
- प्रमाणित पृष्ठ = १२,४१३, शोधित पृष्ठ = ६८,३२२
- समस्याकारक = ६, अशोधित = ९२,२५२, रिक्त = २,७२५
- सामग्री पृष्ठ = ५,७५५, परापूर्ण पृष्ठ = ४३१७
- स्कैन प्रतिशत = १००%
विकिमीडिया संस्थान
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